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शिक्षा विभाग नहीं चाहता कि सरकारी स्कूलों का आए अच्छा नतीजा!

शिक्षा विभाग नहीं चाहता कि सरकारी स्कूलों का आए अच्छा नतीजा!

 

– फाईनल पेपरों के लिए सरकारी व प्राईवेट स्कूलों को दी अलग-अलग पावरें

 

 

शिक्षा फोकस, जालंधर। राज्य में 7 मार्च को आरंभ होने जा रही पांचवीं बोर्ड की कक्षा के पेपर को लेकर शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों तथा प्राईवेट स्कूलों के लिए अलग-अलग नियम बनाए हैं। जारी हुए पत्र के मुताबिक जहां प्राईवेट स्कूलों को खुद ही पेपर लेने तथा उन्हें मुलांकन करने का भी अधिकार दिया गया है वहीं सरकारी स्कूलों में पांचवीं के पेपर तो अपने ही स्कूल में होंगे लेकिन उनका मुलांकन करने का अधिकार इंटर क्लस्टर पर करने तथा निगरान की जिम्मेवारी भी दूसरे स्कूलों से तैनात करने के लिए कहा गया है। मगर, प्राईवेट स्कूलों में निगरान अपने स्कूल के ही तैनात करने का पत्र जारी हुआ है और मुलांकन भी अपने ही स्तर पर करवाने के लिए हुकम हैं। ध्यान रहे कि इस बार पांचवीं कक्षा की परीक्षा एससीईआरटी की तरफ से ली जाएगी।

जारी हुए पत्र के मुताबिक पेपरों के लिए एक कमरे में महज 25 छात्र बैठ सकेंगे, जिनके लिए एक निगरान नियुक्त किया जाएगा, जिसकी नियुक्ति सरकारी स्कूलों में ब्लाक प्राईमरी एजूकेश आफिसर करेगा। एससीईआरटी के इस हुकम को ध्यान से देखें तो आशंका हो रही है कि पाईवेट स्कूल तथा सरकारी स्कूलों की पावरों में काफी कुछ संदिग्ध है। माहिर तो इन आदेशों को प्राईवेट स्कूलों के पक्ष में मान रहे हैं। उनके मुताबिक इस से प्राईवेट स्कूलों का नतीजा सरकारी स्कूलों के मुकाबले बेहतर रहेगा।

हालांकि इस बार पास अथवा फेल करने को लेकर एससीईआरटी ने बहुत अच्छा संज्ञान लिया है। इसके मुताबिक उस छात्र को ही छठी कक्षा में प्रमोट किया जा सकेगा जो छात्र पांच विषयों में कम से कम 33 प्रतिश्त अंक हासिल कर सकेगा। जो छात्र यह अंक हासिल नहीं कर पाएगा, उसे आगामी सैशन के दौरान पांचवीं कक्षा में ही बैठना पड़ेगा। उसे पुनः पांचवीं कक्षा पास करने का मौका 2026 में मिलेगा। खास तो यह है कि मुलांकन में पीछे रहने वाले छात्रों का स्कूल से नाम भी नहीं कट होगा।