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स्कूल ऑफ एमिनेंस के बावजूद भी पंजाब के सरकारी स्कूल नहीं बने लोगों की पहली पसंद

स्कूल ऑफ एमिनेंस के बावजूद भी पंजाब के सरकारी स्कूल नहीं बने लोगों की पहली पसंद

 

 

– शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दौरान 15 ऐसे सरकारी स्कूल, जिसमें एक बच्चे ने नहीं लिया दाखिला

 

 

शिक्षा फोकस, चंडीगढ़। पंजाब सरकार की तरफ से सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला प्रतिशत बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर काम करने के बावजूद बच्चों के दाखिले के लिए अभिभावकों की पहली पसंद निजी स्कूल हैं।

वर्ष 2023-24 शैक्षणिक सत्र की बात की जाए तो प्राथमिक कक्षाओं में सरकारी स्कूलों के मुकाबले निजी स्कूलों में 7.86 फीसदी अधिक बच्चों ने दाखिला लिया है। शिक्षा मंत्रालय की यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान प्राथमिक कक्षा में जहां 10.40 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया, वहीं निजी स्कूलों में 11.22 लाख ने दाखिला लिया है। इसी तरह अगर प्री-प्राइमरी से बारहवीं तक के दाखिला की बात की जाए तो इसमें भी निजी स्कूल ही आगे रहे।

सरकारी स्कूलों में 28.23 लाख, जबकि निजी स्कूलों में 29.81 बच्चों ने दाखिला लिया है। यह स्थिति है तब है, जब सरकार की तरफ से सरकारी स्कूलों में दाखिला प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए 118 स्कूल ऑफ एमिनेंस और 10 मेरिटोरियस स्कूल स्थापित किए हैं। स्कूल ऑफ हैप्पीनेस तैयार करने पर भी काम किया जा रहा है। इन स्कूलों में निजी स्कूलों से बेहतर सुविधाएं व शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी भी निजी स्कूलों में दाखिला प्रतिशत अधिक है।

सिर्फ एक टीचर के साथ चल रहे पंजाब के 2092 स्कूल
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 2092 स्कूल एक ही टीचर के साथ चल रहे हैं। हालांकि इन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दौरान इन स्कूलों में 69,532 बच्चों ने दाखिला है। 15 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें एक भी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया। इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 35 है।

पंजाब में मिशन समर्थ भी लागू किया है, जिसका मकसद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। अभियान के तहत सभी बच्चों को साथ लेकर चलना है, ताकि पढ़ाई में कोई भी पीछे न छूटे। खासकर पंजाबी, अंग्रेजी व गणित में पकड़ मजबूत बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। विद्यार्थियों को दोनों भाषाओं में कम से कम पढ़ सकने और गणित के साधारण सवालों को हल करने में सक्षम बनाया जा रहा है।

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प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ढांचागत सुविधाओं में तो पहले से सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी इसमें और सुधार की जरूरत है। इसी तरह जरूरत के मुताबिक शिक्षकों की भर्ती भी होनी चाहिए। शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए समय-समय पर उनकी ट्रेनिंग भी जरूरी है। अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और समय-समय पर विद्यार्थियों का रिजल्ट चेक करके इसकी निगरानी की जानी चाहिए। – शिक्षा माहिर